Friday, February 13, 2009

Happy Valentine's Day !



On Valentine's Day the best expression of love is through a song. And how I wish I could have put here pictures of all the beautiful girls that I wanted to sing it for but survival instinct made me put my photographs of flowers instead !

I'm not a Valentine's day kind of a person and even my age doesn't permit me to be. But then what made me so loony & tuny?

दूरदर्शन पे एक समाचार देखा तो खून खौल उठा | हाथ में हथ्यार नहीं तो लेखनी से वार करने की इच्छा जाग उठी | देखा "राम की सेना" को कुछ "सीताओं" का तिरस्कार करते | योद्धाओं को देखा माताओं और बहनों के मुहँ पर अपना बल प्रर्दशित करते - प्रदर्शन जो की "रावन" को भी लज्जित कर दे | "राम सैनिक" जो भारतीय संस्कृति की सफ़ेद चादर में अपनी नपुंसकता छुपाये निर्बल नारियों को ज़मीन पे पटकते रहे | और बाकी रहा पौरुष दिखाना चाहते हैं St. Valentine पर |

So here's a special message to "Ram Sainiks" - Sita swayamwar was in no way less than any Valentine's day where a girl can exercise her right to choose her prospective groom. Dashrath did ages ago what later St. Valentine was to repeat. So on this Valentine's day all the "Ram Sainiks" should go home are revise their Ramayan.

But looking at those "Ram Sainiks" it's hard to even imagine if they would have ever looked at Ramayan, let alone read it.

सीता माता का पलन किसी पुरूष से कम नहीं हुआ | राम को दूर से देख कर ही सीता का हृदय विश्वस्त था की वोही उसके जीवन साथी होंगे | राजा दशरथ की विचार धारा शायद आज से भी युगों आगे थी | और ये पत्थर युग के मुट्ठालिक अगर शर्म से पत्थर भी बन जाएँ तो कोई राम इन्हे पाँव भी ना लगायें |

यह प्रेम गीत है सभी नारियों के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति एवं राम सैनिकों के लिए ललकार - अगर मुट्ठालिक जी ने दूध पिलाया है तो आओ और मुझे अपनी मर्दानगी दिखाओ |

Hey Ram !